Hindenburg Research Shutdown News: कुछ महीने पहले अपने हिडनबर्ग रिसर्च और अडानी ग्रुप के विवाद के बारे में सुना होगा और इस विवाद एक अमेरिकी फॉर्म हिडनबर्ग रिसर्च का नाम न्यूज़ चैनल हो या फिर अखबार हर जगह हिडनबर्ग रिसर्च का नाम बार-बार देखने को मिलता था कुछ महीने पहले हिडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप के ऊपर एक रिपोर्ट एस प्रकाशित की थी जिसमें अडानी ग्रुप के ऊपर कई आरोप लगाए थे और उन आरोपों के चलते अडानी ग्रुप के शेयर्स में भारी गिरावट देखने को मिली थी और इसी के साथ भारत की राजनीति में भी काफी बड़ा भूचाल आ गया था और अब खबर आ रही है की डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह से कुछ दिन पहले ही हिडनबर्ग रिसर्च के सीईओ नाथन एंडरसन ने जनवरी 2025 में हिंडनबर्ग रिसर्च रिसर्च को बंद करने Hindenburg Research Shutdown News की आधिकारिक घोषणा की है अब हिडेनबर्ग रिसर्च अपने सारे ऑपरेशंस दुनिया भर में बंद कर देगी इसे बंद करने के पीछे क्या करण है इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। हिडनबर्ग रिसर्च ने दुनिया भर में कहीं नामी कंपनियों पर रिसर्च की और उनके बारे में रिपोर्ट पब्लिक की और इन रिपोर्ट्स को पब्लिक करने के पीछे हिडनबर्ग रिसर्च उन कंपनियों के शेयर्स को शॉर्ट सेलिंग करके काफी मुनाफा कमाती थी ऐसी ही एक भारतीय कंपनी अडानी ग्रुप पर भी हिडनबर्ग ने कहीं आरोप लगाए थे और इस रिपोर्ट के प्रकाशित होते ही अडानी ग्रुप और उसकी बाकी कंपनियों के शहर में लगभग 1 लाख करोड रुपए की गिरावट हुई थी आइये हिडनबर्ग रिसर्च और अडानी ग्रुप के पूरे विवाद को जानते हैं |

हिंडनबर्ग वर्सेस अडानी ग्रुप: एक कॉर्पोरेट विवाद की पूरी कहानी
भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक, गौतम अडानी, और उनकी अडानी ग्रुप का नाम 2023 की शुरुआत में वैश्विक सुर्खियों में आया। अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर गंभीर वित्तीय आरोप लगाते हुए अपनी एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसने भारतीय और वैश्विक बाजारों में भूचाल ला दिया। यह विवाद न केवल भारतीय कॉर्पोरेट जगत को प्रभावित करने वाला मामला था, बल्कि इसने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का ध्यान भारत के कारोबारी माहौल और शासन ढांचे की ओर भी आकर्षित किया।
Hindenburg Research Shutdown News हिंडनबर्ग रिसर्च: क्या है यह फर्म?
हिंडनबर्ग रिसर्च, 2017 में स्थापित, एक न्यूयॉर्क स्थित वित्तीय शोध कंपनी है, जो मुख्य रूप से उन कंपनियों पर नजर रखती है, जिनके व्यापारिक आचरण में अनियमितताएं, धोखाधड़ी, या अन्य संदिग्ध गतिविधियां होती हैं। फर्म “शॉर्ट-सेलिंग” रणनीति का उपयोग करती है, जिसमें किसी कंपनी के शेयरों की कीमत गिरने पर लाभ कमाने की योजना बनाई जाती है। इस फर्म ने कई हाई-प्रोफाइल कंपनियों के खिलाफ अपने खुलासों से नाम कमाया है और इस बार अडानी ग्रुप इसके रडार पर आ गया।
अडानी ग्रुप का परिचय About Adani Group
अडानी ग्रुप भारत का एक बहुराष्ट्रीय समूह है, जिसका कारोबार बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, पोर्ट ऑपरेशन, लॉजिस्टिक्स, हवाई अड्डे, और कृषि व्यवसाय में फैला हुआ है। गौतम अडानी के नेतृत्व में, इस समूह ने तेजी से वृद्धि की और यह भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। 2023 से पहले, गौतम अडानी दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे, और उनकी कंपनियों ने भारतीय बाजार में अभूतपूर्व मूल्यांकन हासिल किया।

Hindenburg Research vs Adani Group विवाद की शुरुआत
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक विस्फोटक रिपोर्ट जारी की। इस 100-पेज की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कॉर्पोरेट धोखाधड़ी, मूल्यांकन में हेरफेर, शेल कंपनियों के माध्यम से पूंजी प्रवाह, और नियामक संस्थाओं को गुमराह करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए।
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हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- शेल कंपनियों का उपयोग:
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि अडानी ग्रुप ने मॉरीशस, दुबई और कैरेबियाई देशों में कई शेल कंपनियों का इस्तेमाल करते हुए अपनी कंपनियों के शेयर की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया।
- ऋण की अत्यधिक निर्भरता:
अडानी ग्रुप के तेजी से विकास का कारण बड़े पैमाने पर कर्ज लेना बताया गया। रिपोर्ट के अनुसार, अगर समूह का शेयर मूल्य गिरता है, तो यह ग्रुप की वित्तीय स्थिरता को गहरी चोट पहुंचा सकता है।
- नियामक संस्थाओं से छुपाव:
हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि अडानी ग्रुप ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और अन्य नियामक संस्थाओं से गलत जानकारी दी।
- परिवार की भूमिका:
आरोप यह भी था कि अडानी परिवार के सदस्य ही शेल कंपनियों के पीछे थे और उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।
अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के जवाब में, अडानी ग्रुप ने इसे “झूठ का पुलिंदा” और “भारतीय अर्थव्यवस्था पर हमला” करार दिया। समूह ने इसे भारत विरोधी एजेंडे का हिस्सा बताते हुए 413-पेज का प्रतिवाद जारी किया।
अडानी ग्रुप के बचाव में तर्क:
- राष्ट्रवाद का सहारा:
अडानी ग्रुप ने इसे भारत के विकास मॉडल पर हमला बताया और कहा कि रिपोर्ट का उद्देश्य विदेशी निवेशकों का भारत से विश्वास हटाना है।
- कानूनी कार्रवाई:
अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी और रिपोर्ट को बदनाम करने वाला करार दिया।
- संदिग्ध उद्देश्य:
अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की शॉर्ट-सेलिंग रणनीति पर सवाल उठाते हुए इसे आर्थिक लाभ कमाने का प्रयास बताया।
बाजार पर प्रभाव
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के जारी होने के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर बाजार में धराशायी हो गए। कुछ प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:
- शेयर मूल्य में गिरावट:
अडानी ग्रुप की कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में कुछ ही दिनों में लगभग 110 अरब डॉलर की गिरावट हुई।
- गौतम अडानी की संपत्ति में गिरावट:
फोर्ब्स की सूची के अनुसार, गौतम अडानी की व्यक्तिगत संपत्ति में भारी गिरावट हुई और वह शीर्ष अमीरों की सूची से काफी नीचे आ गए।
- भारतीय स्टॉक बाजार पर असर:
इस विवाद ने सेंसेक्स और निफ्टी जैसे भारतीय बाजार सूचकांकों को भी प्रभावित किया।
- विदेशी निवेशकों की चिंता:
विदेशी निवेशकों ने अडानी ग्रुप के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर पुनर्विचार शुरू कर दिया।
भारत की सरकारी और नियामक संस्थाओं की भूमिका
अडानी ग्रुप के खिलाफ आरोप लगने के बाद भारत की नियामक संस्थाओं, जैसे SEBI और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), ने अडानी ग्रुप की जांच शुरू की। हालांकि, आलोचकों का कहना था कि जांच धीमी गति से हो रही है और सरकार पर अडानी ग्रुप के पक्ष में पक्षपात करने का आरोप लगाया।
सार्वजनिक और मीडिया प्रतिक्रिया
हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने भारत में बड़ा राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया। विपक्षी पार्टियों ने इसे मोदी सरकार और अडानी ग्रुप के रिश्तों पर सवाल उठाने का मौका माना। वहीं, मीडिया और विशेषज्ञों ने इसे कॉर्पोरेट शासन और पारदर्शिता के लिए भारत में एक महत्वपूर्ण क्षण बताया।
लंबी अवधि का प्रभाव
- कॉर्पोरेट संरचना पर दबाव:
इस विवाद के कारण अडानी ग्रुप को अपनी कॉर्पोरेट संरचना में पारदर्शिता लाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- निवेशक का भरोसा:
विवाद ने वैश्विक और घरेलू निवेशकों का अडानी ग्रुप और भारतीय बाजार में विश्वास प्रभावित किया।
- नियामक संस्थानों पर पुनः विचार:
इस मामले ने भारत की नियामक प्रणालियों की मजबूती और उनकी स्वतंत्रता पर सवाल उठाए।
हिंडनबर्ग रिसर्च के सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर आरोप
अदानी विवाद के बाद हिडेनबर्ग रिसर्च ने 10 अगस्त 2024 को सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं हिंडनबर्ग रिसर्च ने रिपोर्ट में आरोप लगाए है कि सेबी प्रमुख माधबी पूरी और उनके पति ने अडानी ग्रुप से जुड़ी कंपनी में हिस्सेदारी ली थी. हिंडनबर्ग रिसर्च की इस रिपोर्ट के बाद भी अदानी ग्रुप के शेयर में हलचल हुई थी हालांकि से भी प्रमुख माधवी पुरी ने और उनके पति ने हिडेनबर्ग रिसर्च के इन आरोपों को खारिज किया है।

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आरोप:
- हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरी लऔर उनके पति ने अदानी ग्रुप के बरमूडा और मॉरीशस के फ़ंड में हिस्सेदारी ली थी.
- हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि सेबी चेयरपर्सन और उनके पति ने अडानी मनी साइफ़निंग स्कैंडल में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफ़शोर संस्थाओं में हिस्सेदारी ली थी.
- हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि अडानी ग्रुप और सेबी के बीच मिलीभगत है.
- हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया कि है कि सेबी पर अडानी ग्रुप के मामले सेबी पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
हिडनबर्ग रिसर्च और अडानी विवाद का निष्कर्ष
हिंडनबर्ग वर्सेस अडानी ग्रुप विवाद केवल एक कॉर्पोरेट लड़ाई नहीं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था, सरकारी व्यवस्था, और निवेश के माहौल पर व्यापक प्रभाव डालने वाला मामला था। यह घटना न केवल अडानी ग्रुप के लिए एक कठिन समय साबित हुई, बल्कि इसने भारत के कॉर्पोरेट शासन और पारदर्शिता के महत्व को भी रेखांकित किया। हालांकि अदानी ग्रुप की कंपनियों के शहर में जो गिरावट हुई थी कुछ ही समय बाद वापस से शेयर ग्रोथ करने लगे और आज के समय शेयर मार्केट में अदानी ग्रुप के शेर अच्छी पोजीशन पर है और कंपनी लगातार अपना कारोबार बढ़ा रही है और अब हिडेनबर्ग रिसर्च के ऑपरेशन बंद हो चुके हैं इससे अदानी ग्रुप को काफी राहत मिलेगी अभी के लिए अदानी ग्रुप पर कोई और रिपोर्ट नहीं आने वाली