महाकुंभ आध्यात्मिक रहस्य, क्या मान्यता है महाकुंभ 144 वर्षों के बाद क्यों आता है ? why maha kumbh comes in 144 years

why maha kumbh comes in 144 years हिंदू धर्म में कुंभ मेला प्रत्येक 12 वर्ष में चार पवित्र स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है इस बार यह मेला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज( इलाहाबाद )  में होने वाला है। प्रयागराज में करोड़ों संतो भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। ऐसा दिव्य महाकुंभ हमारे जीवन में पहला और आखिरी महाकुंभ रहने वाला है क्योंकि महाकुंभ 12 कुंभ के बाद 144 वर्षों के बाद आयोजित होता है।

प्रत्येक 12 वर्ष में पूर्ण कुंभ लगता है। हिंदू मान्यता के अनुसार देवताओं के एक दिन हमारे 1 साल के बराबर होता है तो 12 दिन देवताओं के मनुष्यों के 12 सालों के बराबर होते हैं इसी कारण 12 सालों के बाद कुंभ मेले का आयोजन होता है प्रत्येक 144 वर्ष बाद प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होता है इसे हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र हो शुभ माना जाता है।

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प्रयागराज महाकुंभ क्या है 

महाकुंभ एक ऐसा धार्मिक पर्व है जिसमें हिंदू लोग बड़ी आस्था रखते हैं। महाकुंभ के दौरान देश विदेश से करोड़ों श्रद्धालु एक साथ इकट्ठा होकर संगम मे डुबकी लगाकर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। कुंभ मेले का वर्णन वेदों और पुराणों में कही नही मिलता है। ऐसे में इतना बड़ा मेला जिसमें लाखों साधु-संत शामिल होते हैं। जिसमें आने वाले साधु, नागा साधु और तपस्वी आकर्षक होते हैं जिनके बिना कुंभ मेला कभी पूर्ण नहीं हो सकता।

महाकुंभ का दृश्य अंतरिक्ष से भी दिखाई पड़ता है और यूनेस्को ने भी इसे वर्ल्ड हेरिटेज बताया है।

 

महाकुंभ का महत्व

 

  • महाकुंभ मेले में स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।

 

  • महाकुंभ में करोड़ साधु संत और श्रद्धालु पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान, हवन, कथा, ध्यान करते है।

 

  • कुंभ एक दिव्या परंपरा है जहां पर कल्पवास बिताने के लिए सनातन 13 अखाड़े आते हैं।

 

  • महाकुंभ के आयोजन का समय ज्योतिषी गणनाओं पर आधारित होता है।

 

महाकुंभ प्रयागराज मेला कब से कब तक चलेगा

महाकुंभ मेले का आयोजन 144 वर्षों के बाद 13 जनवरी 2025 से 14 जनवरी 2025 आयोजित हो जा रहा है यह महाकुंभ कुल 45 दिनों तक चलेगा। जो 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। इस महाकुंभ में शाही स्नान कर करोड़ों यात्री प्रयागराज के पवित्र त्रिवेणी संगम ( गंगा, जमुना,सरस्वती ) में स्नान कर अपने पापों से मुक्त होंगे।

महाकुंभ का आयोजन सिर्फ प्रयागराज में ही क्यों होता है

इसके पीछे के धार्मिक मान्यता है कि प्रयागराज को धार्मिक दृष्टि से काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां ( गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती ) पवित्र नदियों का संगम होता है। नदियों के संगम को त्रिवेणी संगम के नाम से जाना जाता है। प्रयागराज कलयुग के समय को दर्शाता है। इसके अंत में अभी ओर कितना समय बचा है इसलिए जो भी महाकुंभ के दौरान स्नान करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह जीवन मरण के इस चक्र से छूट जाता है जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।

 

 कुंभ और महाकुंभ मेले में क्या अंतर है ?

 

कुंभ का मतलब होता है “घड़ा

अगर इसे धार्मिक नजरिये से देखें तो महाकुंभ का अर्थ होता है “अमृत से भरा विशाल घड़ा

लेकिन इस बार साल 2025 में कुंभ मेला नहीं बल्कि महाकुंभ लगने जा रहा है जो कि 12 साल बाद नहीं बल्कि पूरे 144 साल बाद लग रहा है। यह महाकुंभ 144 वर्षों के बाद महाकुंभ का उल्लेख खगोलीय घटना की ओर संकेत करता है।

 

कुंभ के मेले की उत्पत्ति कैसे हुई 

जैसा की समुद्र मंथन हमारे पुराणों में मिलता है, तो समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला। अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ गया। अमृत कलश पाने के लिए देवताओं और असुरों युद्ध में देवताओं की विजय हुई और अधर्म का विनाश हुआ था। युद्ध के दौरान अमृत की चार बूंदे पृथ्वी पर गिरी जिसमें हरिद्वार में गंगा नदी उज्जैन में शिप्रा नदी और नासिक में गोदावरी नदी और प्रयागराज ) गिरने से अमृत रूपी शक्ति जागृत हुई और ये पवित्र स्थान बन गए। इसीलिए हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, प्रयागराज में 12 वर्षों में कुंभ मेले का आयोजन होता है।

 

कुंभ कुल चार होते हैं ।

कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्णकुंभ और महाकुंभ

कुंभ मेले का आयोजन हर 12 वर्ष के बाद हरिद्वार, नासिक उज्जैन और प्रयागराज में होता है।

 

अर्धकुंभ प्रत्येक 6 साल के बाद मनाया जाता है जिसे केवल प्रयागराज और हरिद्वार में ही आयोजित किया जाता है। प्रत्येक 6 साल बाद आयोजित होने की वजह से इसे अर्ध कुंभ कहा जाता है।

 

पूर्ण कुंभ प्रत्येक 12 साल बाद प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित किया जाता है। साधारण रूप से तो हर 12 साल के बाद कुंभ प्रयागराज में मनाया जाता है। उसे पूर्ण कुंभ कहते हैं। प्रयागराज में मनाए जाने वाले कुंभ को बहुत शुभ माना जाता है।

 

महाकुंभ 12 ( बारह ) कुंभ पर आयोजित किया जाता है । यानि कि प्रत्येक 12 वर्ष बाद आने वाले कुंभ के 12 आयोजन पूरे हो जाते हैं, तो 144 वर्षों बाद आने वाला कुंभ महाकुंभ कहलाता है । जिसका महत्व अन्य कुंभों से कहीं ज्यादा होता है।

 

प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का त्रिवेणी संगम है। यह महाकुंभ धार्मिकता के साथ सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी भारत का एक महत्वपूर्ण आयोजन होने वाला है।

 

FAQ

  1. 1 महाकुंभ प्रयागराज मेला कब से कब तक चलेगा ?

Ans. 13 जनवरी 2025 से 14 जनवरी 2025 आयोजित हो जा रहा है।

 

  1. 2  प्रयागराज महाकुंभ में कितने श्रद्धालु दर्शन करेंगे ?

Ans. प्रयागराज महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु दर्शन करेंगे।

 

  1. 3  कुंभ मेला कब लगता है ?

Ans.  कुंभ मेला हर 12 साल में लगता है।

 

  1. 4 महाकुंभ मेला कब लगता है ?

Ans. प्रत्येक 12 वर्ष बाद आने वाले कुंभ के 12 आयोजन पूरे हो जाते हैं, तो 144 वर्षों बाद  महाकुंभ का आयोजन होता है।

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