Shortage of cash in Indian banks हाल ही में भारतीय बैंकों में केश रुपयो की भारी किल्लत की खबरें सामने आई है इस समय भारत की बड़ी बैंकों में नगद पैसों की किल्लत है क्या यह एक खतरे का संकेत है या फिर एक सामान्य घटना है आईये विस्तार से जानते हैं
हाल ही में आई खबरों के अनुसार भारत के कई बैंकों में नगदी की भारी कमी देखने को मिली है और आरबीआई लगातार इन बैंकों तक केश पहुचाने का प्रयास कर रही है यह खबरें अभी तक मेन स्ट्रीम मीडिया में नहीं आ रही थी लेकिन अब यह खबर मीडिया में आ चुकी है और भारतीय बैंकों में नकद की इस कमी को किस रूप में देखा जाए क्या भारतीय बैंक के आर्थिक रूप से पिछड़ रही है ल या भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक रूप से पिछड़ रही है ओर क्या भारतीय बैंक शेयर मार्केट के साथ कंपटीशन में पिछड़ रही है सभी के बारे में डिटेल में समझेंगे और क्या यह बैंक के आम खाताधारकों के लिए जिसने अपना पैसा बैंक में जमा करके रखा है उसके के लिए चिंता वाली बात है या नहीं ।
How to Work Banking System बैंकिंग सिस्टम कैसे काम करता है समझे।
इस समय बैंक में पैसों की कमी क्यों हुई है इसको समझने के लिए आपको पहले यह समझना होगा कि आखिर बैंक काम कैसे करते हैं बैंक के पास में अपना खुद का कोई पैसा नहीं होता आप और मेरे जैसे आम नागरिक बैंक में पैसा जमा करते हैं उन्हें पैसों में से कुछ पैसा बैंक लोन के रूप में दूसरे ग्राहकों को देते हैं लेकिन जब आप बैंक में पैसा जमा करते हैं तो उसे पर आपको कम ब्याज मिलता है और जब बैंक आपको लोन के रूप में पैसा देता है तो उसे मनी पर आपसे अधिक ब्याज लेता है ब्याज का यही डिफरेंस बैंक की असल कमाई है
उदाहरण के लिए अपने बैंक में अपने ₹100 जमा किया तो उसमें से बैंक लगभग ₹70 किसी और ग्राहक को लोन के रूप में दे देगा आपको बैंक सेविंग्स पर लगभग 2.75% ब्याज देगा लेकिन आजके पैसे को बैंक ने लोन पर दिया है उस लोन से वह 10 से 12% ब्याज लेगा तो इसमें जो लगभग 8% का डिफरेंस है वही बैंक की कमाई है।
Why is there shortage of cash in the bank? बैंक में नकद की कमी क्यों है ?
बैंक में नकद की कमी होने का एक मुख्य कारण है कि इस समय बैंक में आम जनता पैसा कम जमा कर रही है और बैंक से लोन लेने वालों की संख्या बढ़ रही है इसका सीधा मतलब है कि जितना पैसा बैंक में जमा हो रहा है उससे अधिक पैसे की लोन के रूप मांग हो रही है आमतौर पर भारत में बैंक ग्राहक के 100 रुपए में से ₹70 का लोन दे देती है मतलब लोन का रेशो बैंक के पास कुल जमा का 70% के लगभग होता है लेकिन इस समय ग्राहक बैंक में पैसा कम जमा कर रहे हैं और लोन मांगने वालों की संख्या बढ़ गई है हैं इस वजह से बैंकों ने कुल जमा का 70% से बढ़ा कर 80% तक का लोन देना शुरू कर दिया है सामान्य तौर पर बाकी बचे 30% पैसे से बैंक का लेनदेन चलता है लेकिन इस समय यह रेशों थोड़ा सा बिगडता नजर आ रहा है अब बैंक के पास में अधिक परसेंटेज में लोन देने की वजह से कैश की कमी होने लगी है। तो क्या यह सिचुएशन खराब है इस वजह से बैंक धराशायी हो सकते हैं इसके बारे में आगे जानते हैं।
Why account holders not depositing money in bank? आम खाताधारक बैंक में पैसा क्यों नहीं जमा कर रहे।
बैंक में नकद की कमी का जो सबसे बड़ा कारण है कि इस समय बैंक में लोग पैसा जमा करना कम प्रेफर कर रहे हैं और शेयर मार्केट में ज्यादा इन्वेस्ट कर रहे हैं। क्योंकि भारत में जैसे-जैसे शेयर मार्केट की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे लोग बैंक से अपना पैसा निकाल कर शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर रहे हैं क्योंकि बैंकों में सेविंग अकाउंट में रखे हुए पैसे पर बैंक लगभग 2.75% का ब्याज देता है और FD फिक्स्ड डिपॉजिट की बात करें तो FD में 5% से 7% का ब्याज मिलता है और इस पर भी सरकार के टैक्स इस ब्याज को और काम कर देते हैं इसे अगर म्युचुअल फंड के कंपैरिजन में देखा जाए तो एक अच्छा म्युचुअल फंड ग्राहक को 12 से 20% तक का रिटर्न दे सकता है। इसके अलावा काफी लोग डायरेक्ट शेयर भी परचेस करते हैं उनमें लॉन्ग टर्म में उनका काफी अच्छा रिटर्न मिलता है तो यही मुख्य कारण है जो लोग अपना पैसा बैंक में सेविंग अकाउंट या फिर Fixed Deposit के रूप में रखते थे वह उसे पैसे को शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर रहे हैं सीधा मतलब यह है कि बैंक से ज्यादा रिटर्न अब शेयर मार्केट, फॉरेक्स या फिर गोल्ड में है यह इन्वेस्टर को समझ आने लगा है ।
अब ऐसे में बैंक के पास पैसा जमा करने वाले इन्वेस्टर के पास तो कहीं ऑप्शन है जैसे शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड, गोल्ड , रियल एस्टेट प्रॉपर्टी आदि लेकिन जो लोन मांगने वाले हैं उनके पास में बैंक के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है।
भारतीय बैंकों में नकद की कितनी कमी है ?
सरकार के अनुसार भारतीय बैंकों में अभी 1.50 लाख करोड़ केश की आवश्यकता है ऐसे में बैंकों के पास केश की पूर्ति करने के लिए आरबीआई Reserve bank of India ही एक रास्ता है क्योंकि भारत में बैंकों का बैंक आरबीआई है जो सभी बैंकों को नियंत्रित करता है तथा समय-समय पर उनकी केश की कमी पूरी करता है लेकिन इसके लिए भी आरबीआई रेपो रेट के रूप में ब्याज लेता है लेकिन जब कई अधिक संख्या में बैंके आरबीआई से एक बार एक साथ केश लेने पहुंचती है तब आरबीआई वेरिएबल रेपो रेट मतलब की सामान्य रेपो रेट से अधिक ब्याज पर भी बैंकों को पैसा दे सकता है वर्तमान रेपो रेट 6.5% है लेकिन आरबीआई ने इस रेट को बढ़ाते हुए अभी करीब 6.75% पर बैंकों को राजी कर लिया है और 75000 करोड रुपए ओर 25000 हजार करोड़ केश के लिए बोलियां भी लगवाई है जल्दी ही आरबीआई द्वारा बैंकों में इस Cash की कमी को पूरा कर दिया जाएगा लेकिन लॉन्ग टर्म में इसका क्या सॉल्यूशन है उस पर बात करते हैं।
बैंक को डिपॉजिट पर कुछ बदलाव करने होंगे l
अभी के लिए तो नकद की कमी को आरबीआई के द्वारा पूरी कर लिया जाएगा लेकिन लॉन्ग टर्म में इसके लिए बैंकों को कहीं बदलाव करने होंगे जैसे की सेविंग अकाउंट पर ब्याज को बढ़ाया जाएगा इसके अलावा फिक्स्ड डिपॉजिट पर भी इंटरेस्ट रेट को बढ़ाया जाएगा जिससे इन्वेस्टर बैंकों में इन्वेस्ट करने के लिए खिंचा चला आए क्योंकि देखा जाए तो बैंकों में अपना पैसा रखना आज भी एक बड़ी जनसंख्या सुरक्षित मानती है क्योंकि एक डाटा के अनुसार आज से 5 साल पहले केवल भारत में 7 करोड़ डिमैट अकाउंट थे जो कि अब बढ़कर करीब 17 करोड़ हो चुके हैं लेकिन भारत की जनसंख्या जो कि लगभग 150 करोड़ के लगभग है उनमें से अधिकतर जनसंख्या अभी भी बैंक या फिक्स्ड डिपॉजिट में अपना पैसा रखना पसंद करती है ऐसे में अगर बैंक फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दर को बढ़ाकर 10% के आसपास कर देती है तब भी बैंकों में काफी लोग अपना पैसा जमा करना शुरू कर देंगे और बैंक में कैश डिपॉजिट को बढ़ाया जा सकता है
क्या बैंक में हमारा पैसा सुदक्षित है या नही ?
अब अगर आप यह सोच रहे हैं कि बैंक में नकद की कमी को देखते हुए हमारा पैसा सेफ है या नहीं इसके बारे में बात करते हैं तो इस तरह की घटनाएं एक इकोनॉमी में बैंकों के साथ होती रहती हैं इसको समय-समय पर आरबीआई मार्केट में कैसे के फ्लो को बढ़ाकर या घटाकर कंट्रोल करता है बैंकों का बैंक आरबीआई बैंकों में नकद की कमी होने पर बैंकों को नकद उपलब्ध करवाता है और अगर बैंकों के पास नकद की अधिकता हो जाए तो बैंक्स आरबीआई के पास पैसा जमा करती है और उस पर भी इन बैंकों को कुछ ब्याज मिलता है ऐसे में इस पूरी कंडीशन में आम ग्राहक का पैसा पूरी तरह से सेफ रहता है तो आपका पैसा भी अगर भारत के किसी अच्छे बैंक में है तो आपको टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है