Deepseek vs NVIDIA American AI How China Is Winning Where Is India ? DeepSeek ने अमेरिका को दिया झटका इंडिया कहा है

Deepseek vs NVIDIA American AI How China Is Winning Where Is India अमेरिका में साल 2000 के .com बबल को याद करके लोग अभी भी थर-थर कॉपते हैं टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री की सूरत ही बदल गई थी उस साल उसके बाद आता है 2008 का फाइनेंशियल क्राइसिस जहां फिर से सैकड़ो कंपनिया बंद होती है लाखों नौकरिया जाती है अगर आप 2025 के tech तूफान को देखेंगे US Tech Stocks को एक ही दिन में एक Trillion डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा और AI Chips बनाने वाली Nvidia कंपनी अमेरिका की Tech बादशाह जिसे कहा जाता है उसके $600 बिलीयन डॉलर गायब हो जाते हैं घंटो के अंदर अमेरिका के पूरे इतिहास में इतना बड़ा सदमा आज तक किसी एक कंपनी को इतनी जल्दी नहीं लगा है। 600 बिलीयन डॉलर कितना होता है आप इस बात से अंदाजा लगा लीजिए कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की वैल्यूएशन करीबन 200 बीलियन डॉलर की बताई जाती है।

Deepseek vs NVIDIA American AI How China Is Winning Where Is India  इन सब का जिम्मेदार बताया जाता है छोटी सी चाइनीस कंपनी और कुछ ऐसे इंजीनियर जिन्होंने Deepseek R1 मॉडल रिलीज किया है एक ऐसा नायाब और एफिशिएंट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मॉडल जो AI की दुनिया में एक नया मोड़ ले आया है कुछ ही दिनों के अंदर और अमेरिका के सिलिकॉन वैली के वर्चस्व का सत्यानाश कर दिया है ।

DeepSeek Ai Vs Chat GPT vs Chat Sutra
DeepSeek Ai Vs Chat GPT vs Chat Sutra

 

DeepSeek AI वाला China कितना एडवांस है।

यह  Deepseek क्या है सिर्फ आज अमेरिका के लिए नहीं पूरे दुनिया के लिए समस्या बन चुकी है क्योंकि पिछले कुछ दिनों में चीन ने यह बात साफ कर दी है कि साइंस और टेक्नोलॉजी हो ट्रेड हो इस दुनिया में वह विश्व गुरु बनने के कगार पर आ चुका है । 6th-gen fighter , Artificial Sun Prototype , 1 Trillion Doller Trade Surplus , Reusable Rocket, Qwantom Computer लगभग हर क्षेत्र में चीन अमेरिका की बराबरी कर रहा  है और जैसा Deepseek  ने दिखा दिया है अमेरिका में टेक्नोलॉजी में ऑलरेडी पहचान के चीन को रोकने की कोशिश की जा रही है अमेरिका कोशिश कर रही है कि अपनी लीड बरकरार रखे चायना को रोके।

Deepseek AI अमेरिका को कड़ी टक्कर दे रहा है।

Deepseek एक छोटी चाइनीस कंपनी का प्रोडक्ट है जिस कंपनी के फाउडिंग के 2 साल तक नहीं हुए हैं उनका  लेटेस्ट AI मॉडलहैं।ये AI model Open AI और Meta के लेटेस्ट मॉडल को टक्कर देता है बल्कि कई सारे पैमानों पर उनसे आगे भी चला जाता है।Deepseek कोअपने लेटेस्ट R1 मॉडल को सिर्फ 5.6 Million dollars के बजट में train किया गया है एक मॉडल को train करने में काफी एफर्ट लगता है सारे इनफॉरमेशन उसके अंदर डालना होता है ज्यादातर Analysts एस्टीमेट कि यह 100 गुना कम है US Tech Giants के ट्रेंनिंग कोर्सेज से। रेगुलर यूजर्स के लिए Deepsek का अपना जो R1 मॉडल है उसे फ्री उसे कर दिया गया है तो इसका मतलब है इसका एडॉप्शन काफी तेज हो गया है ।

 

Deep seem vs Chat GPT paid plans को है सस्ता? 

 

OpenAI, Chat GPT के जो प्रीमियम प्लांस होते हैं उसके लिए पैसे लगते हैं और जो बड़े टोकन कंप्यूटिंग होता है यानी  जो बड़े फॉर्म जो बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल करेंगे अपने कॉर्पोरेट use  के लिए उस मामले में भी Deepseek R1 Chat GPT से 30 गुना ज्यादा सस्ता है जिस पर US ने बार-बार सालों से Computing chip एक्सपोर्ट रिस्ट्रिक्शंस लगा के रखे थे ताकि वो AI रेस में कहीं आसपास भी बराबरी ना कर पाए पर यही एक छोटी सी चीनी कंपनी ने पुराने outdated chips का इस्तेमाल करके US Tech giants को पीछे कर दिया।चायना ने OpenAI, या Meta का कोई कॉपी करके cheap version निकाल दिया है AI का।

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कितना Advance ओर Lite है Deepseek AI 

ट्रेडिशनल AI एक नंबर को लिखेगा तो वह 32 डेसिमल प्लेसेस तक नंबर लिखना है पर एक्यूरेसी Deepseek सिर्फ 8 डेसिमल पॉइंट्स इस्तेमाल करें तब भी उतना ही लगभग एक्यूरेट रहेगा। लेकिन 75% memory consumption घट जाएगी। नॉर्मल AI एक अक्षर को पड़ता है Deepseek पूरी लाइन को एक साथ पढ़ने की कोशिश करता है 90% एक्यूरेसी होता है लेकिन जब आप बिलियंस आफ वर्ड्स प्रक्रिया(process) करते हो तो यह काफी अच्छा रिजल्ट्स देता है। Traditional Model 1.8 Trillion पैरामीटर सब कुछ देख रहे होते हैं सब कुछ सुन रहे होते हैं

Deepseek कहता है कि हमारे पास केवल 671 बिलियन पैरामीटर और उसमें सिर्फ 37 बिलियन पैरामीटर एक साथ एक्टिव रहेंगे। आप अपने गेमिंग पीसी पर इस AI सॉफ्टवेयर को चला सकते हो साथ ही साथ मैसेज पावर सेविंग होती है पूरा का पूरा फैक्ट्री नहीं चाहिए होता है आपको इसका इस कंप्यूटर को चलाने के लिए जो महंगे चिप्स होते हैं उसकी भी दरकार नहीं है इसीलिए Nvidia के shares  के साथ जो हुआ वो हुआ

जो अमेरिकन Tech कंपनी AI कंपनी है कि इसको ओपन सोर्स बना दिया गया है कि चीन ने इस एल्गोरिथम को छुपाया नहीं है  इसके पैरामीटर चेंज करके एक्सपेरिमेंट कर सकते हो और यह दुनिया भर में लोग आज के डेट में कर रहे हैं और वह कह रहे हैं कि यह बड़े-बड़े AI सॉफ्टवेयर से भी ज्यादा अच्छा Deepseek काम करता है और वह भी बिना महंगे हार्डवेयर के या पावर रिक्वायरमेंट के करता है।

AI टेक्नोलॉजी में भारत का क्या स्थान है

AI के बारे में जो दुनिया बात कर रही है वहां इंडिया कहां आता है हमने क्या पहले ही हार मान ली है दुख की बात यह है कि peak 15 के Rajan Anandan ने Sam Altman यही सवाल 2 साल पहले पूछा था कि क्या इंडिया में सस्ते दामों पर कोई फाऊंडेशनल AI मॉडल पर काम कर सकता है ? ओर Sem Altman का जवाब के साथ Deepseek ने ओपन AI के फार्मूले को खोखला साबित कर दिया है AI  को चलाने के लिए बिलियन डॉलर इन्वेस्टमेंट नहीं होती है।

कि राजन की बात सही निकली 10 मिलियन नहीं 6 मिलियन डॉलर से भी कम में Open AI  से अच्छा फाऊंडेशनल मॉडल खड़ा कर दिया 2 साल से कम में प्रॉब्लम यह है कि इंडिया में नहीं हुआ यह चीन में हुआ और दुख की बात चीन में हुआ क्यों कह रहा हूं क्योंकि एक टाइम था जब अमेरिका को हम मुंह तोड़ जवाब देते थे 1987 में इंडियन गवर्नमेंट ने अमेरिका से बोला कि हमें आप अपना Cray XMP सुपर कंप्यूटर दे दीजिए। अमेरिका ने उसे समय सुपर कंप्यूटर देने से मना कर दिया था क्योंकि तुम इसका इस्तेमाल मिलिट्री use के लिए करोगे। इसलिए हम नहीं देंगे इंडिया ने हार नहीं मानी हमारे सरकार में पूरा टास्क फोर्स बैठाया और PARAM 8000 सुपर कंप्यूटर इंडिया का अपना पहला सुपर कंप्यूटर हमने डेवलप किया (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग) US ने 1993 में Russia को फ़ोर्स किया कहा कि तुम इंडिया को Cryogenic टेक्नोलॉजी नहीं दोगे जो कि हमारे इसरो को चाहिए था हैवी सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए अपने GSLV प्रोजेक्ट के लिए क्योंकि उसको ICBM रॉकेट में भी न्यूक्लियर रॉकेट में भी इस्तेमाल किया जाता है भारत में तब भी हर नहीं मानी और खुद का क्रायोजेनिक इंजन टेक्नोलॉजी डेवलप की जो बहुत काम देश के पास आज भी है भारत ने अपना जीएसएलवी रॉकेट लॉन्च किया ।

 

US vs China Who is upcoming Super power कौन होगा अगला सुपर पावर 

US और चीन के बीच में सुपर पावर वर्सेस अपकमिंग सुपर पावर 21st सेंचुरी का कौन बनेगा विश्व गुरु का फाइट चल रहा है और इंडिया इसमें नजर नहीं आ रहा है एक जियो पोलिटिकल शतरंज चल रहा है चीन तेजी से आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है अमेरिका उसे चेकमेट करने की कोशिश कर रहा है और इंडिया में हम अपने पॉलिटिक्स में लगे हुए हैं क्योंकि Tech  तो हमें दिखता नहीं है दुनिया 50 साल आगे की फ्यूचर प्लानिंग कर रही है हम 500 साल पहले की खुदाई में लगे हुए हैं देख लीजिए कुछ सैंपल 1948 में चीन आजाद होता है प्राइमरी एजुकेशन हेल्थ केयर पर फोकस करता है 1978 में Economy liberalized होती हैं। यंग पापुलेशन ने फॉरेन कंपनी को अट्रैक्ट करना शुरू कर दिया जो प्रॉफिट हुआ चीनी सरकार ने एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर में इन्वेस्ट कर दिया जिससे प्रोडक्टिविटी बढ़ती है देखते ही देखते चीन की काया पलट हो जाती है

Difference in per capita income of China and India चीन और भारत की प्रतिव्यक्ति आय में अंतर

 

1990 में इंडिया और चीन की प्रति व्यक्ति आय लगभग समान थी और अब चीन में प्रतिव्यक्ति आय हमसे 5 गुना ज्यादा है । एक एवरेज चाइनीस हमसे 5 गुना ज्यादा अमीर है आज चीन दुनिया का सेकंड लार्जेस्ट इकोनामी है ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का 30% प्रोडक्शन उसके पास है नंबर 2,3,4,5 देश को मिला लो तब भी मैन्युफैक्चरिंग और चीन को टक्कर नहीं दे पाती है टोटल मैन्युफैक्चरिंग में इंडिया से 10 गुना ज्यादा आगे है चीन

Jeo Biden ने 2012 में एक बयान दिया था कि चीन में तानाशाही सिस्टम है उससे चीन में कभी इनोवेशन नहीं होगा क्योंकि कम्युनिस्ट सिस्टम फ्री थॉट को इनकरेजमेंट नहीं मिलती है अमेरिका को लगता था कि टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के मामले में वही नंबर वन रहेंगे।

चीन के प्रेसिडेंट Xi ने यह बात दिल पर ले ली 2015 में made in chaina 2025 प्रोग्राम लॉन्च किया अब चीन सिर्फ low Quality manufacturing नहीं करेगा बल्कि कटिंग एज टेक्नोलॉजी भी बनाएगा बल्कि उससे भी पहले मोदी ने 2014 में make in india कार्यक्रम भी लॉन्च किया था इंडिया को ग्लोबल मैन्युफैक्चर Hub बनाने के लिए

पिछले 10 सालों में चीन ने क्या किया

रिसर्च एंड डेवलपमेंट में चीन ने R&D में इन्वेस्ट किया 2023 मे चीन का R&D स्पेंड $723 बिलीयन डॉलर्स था एक ट्रिलियन की तरफ R&D स्पेंडिंग में यह ऑलमोस्ट US के R&D स्पेंडिंग को टक्कर देता है और यह ज्यादा इंडिया से 10 गुना ज्यादा स्पेंडिंग है यह स्पेंडिंग चीन की इकोनामिक पावर की वजह से हो पाया अब इसी इकोनॉमी को कमजोर करने के लिए Make America Great Again का नारा लेकर ट्रंप ने अपने फर्स्ट टर्म में चीन को काबू के लिए मेक अमेरिका ग्रेट अगेन का नारा लेकर ट्रंप ने अपने फर्स्ट टर्म में 450 बिलियन डॉलर का चाइनीस गुड्स पर टैरिफ लगा दिया कि चीन को थोड़ा सा काबू में कर लिया जाए अब बदले में चीन ने अपनी ट्रेड को डायवर्सिफाई किया हार नहीं माना पिछले 10 सालों में आसियान कंट्रीज के साथ ट्रेड को डबल किया अपने Belt और रोड इनीशिएटिव के जरिए चीन ने 150 देश में कुल एक ट्रिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट भी किया ताकि ग्लोबल साउथ के देशों के साथ डिप्लोमेटिक और ट्रेड रिलेशंस को आगे बढ़ा पाए। अपना वर्चस्व स्थापित कर सके।

चीन ने ग्रीन एनर्जी पर फोकस किया गया ताकि चीन आत्मनिर्भर बन सके। दुनिया का 80% सोलर सेल प्रोडक्शन चीन में होता है क्वालिटी के साथ क्वांटिटी चीन सोलर माड्यूल्स का प्रोडक्शन कॉस्ट केवल $0.15 पर watt. है ओर यह कॉस्ट USA से भी 20% काम है।

 

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